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Understanding Devshayani Ekadashi, Ekadashi, Chaturmaas, and Health Benefits

by Aashish Passi, 16 Jul 2024


देवशयनी एकादशी, एकादशी, चातुर्मास की समझ और स्वास्थ्य लाभ

देवशयनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे 'पद्मा एकादशी' और 'हरी शयनी एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे 'चतुर्मास' कहा जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते। देवउठनी एकादशी तक यह चतुर्मास चलता है।

इस दिन व्रत रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। भक्तजन इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं और कथा सुनते हैं। पवित्र नदियों में स्नान करना और भक्ति भाव से दिन व्यतीत करना इस व्रत का प्रमुख हिस्सा है।

देवशयनी एकादशी का व्रत रखने वाले भक्त प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने व्रत का संकल्प लेते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, तुलसी दल, फल, फूल और विशेष पकवान अर्पित किए जाते हैं। व्रतधारी दिनभर निराहार रहते हैं और रात्रि को जागरण करके भगवान का स्मरण करते हैं।

देवशयनी एकादशी के महत्व का वर्णन पुराणों में मिलता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। यह व्रत आर्थिक तंगी और रोगों से मुक्ति दिलाने वाला भी माना जाता है।

चतुर्मास के दौरान साधकों को अपने आहार और आचरण में विशेष संयम बरतने की सलाह दी जाती है। इन चार महीनों में भगवान विष्णु की पूजा, दान-पुण्य और भक्ति करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, देवशयनी एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है।

 

चतुर्मास या देवशयनी के दौरान स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के उपाय और फायदे

चतुर्मास या देवशयनी के दौरान स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। चतुर्मास के दौरान संतुलित आहार, योग और ध्यान जैसे उपाय अपनाकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख स्वास्थ्य लाभ दिए जा रहे हैं:

1. शारीरिक शुद्धि: चतुर्मास के दौरान अक्सर सात्विक आहार का सेवन किया जाता है जिसमें ताजे फल, सब्जियाँ, और हरी पत्तेदार सब्जियाँ शामिल होती हैं। इससे शरीर की शुद्धि होती है और पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।

2. आत्म नियंत्रण: इस समय के दौरान उपवास और संयमित आहार का पालन करने से आत्म-नियंत्रण और अनुशासन में सुधार होता है, जो मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देता है।

3. वजन नियंत्रण: संयमित आहार और नियमित उपवास से वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। यह शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है।

4. मानसिक स्वास्थ्य: योग और ध्यान का अभ्यास करने से मानसिक शांति और स्पष्टता मिलती है। यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में सहायक होता है।

5. आध्यात्मिक उन्नति: इस समय के दौरान धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में संलग्न होने से मन को शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।

6. इम्यून सिस्टम मजबूत बनाना: चतुर्मास के दौरान संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है। इससे बीमारियों से बचाव होता है और शरीर स्वस्थ रहता है।

7. पाचन तंत्र में सुधार: हल्का और सात्विक आहार पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखता है और कब्ज, एसिडिटी जैसी समस्याओं से बचाव करता है।

8. शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि: नियमित योग और प्राणायाम से शारीरिक ऊर्जा और स्फूर्ति में वृद्धि होती है। यह शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है।

इस प्रकार, चतुर्मास या देवशयनी के दौरान अपनाए जाने वाले ये उपाय न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक होते हैं।

 

चतुर्मास और देवशयनी में नारियल का महत्व

 

चतुर्मास या देवशयनी के दौरान नारियल का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में नारियल को पवित्र और शुभ माना जाता है और यह धार्मिक अनुष्ठानों का अभिन्न हिस्सा है। यहाँ कुछ प्रमुख कारण दिए जा रहे हैं कि क्यों नारियल का विशेष महत्व है:

1. पवित्रता का प्रतीक: नारियल को पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान को अर्पित करना शुभ माना जाता है और इससे भक्तों को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

2. शारीरिक स्वास्थ्य: नारियल पानी का सेवन चतुर्मास के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। इसमें प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो शरीर के ऊर्जा स्तर को बनाए रखते हैं और गर्मियों में ठंडक प्रदान करते हैं।

3. पौष्टिकता: नारियल में आवश्यक विटामिन्स, खनिज, और फाइबर होते हैं जो शरीर के पोषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और शरीर को स्वस्थ रखता है।

4. उपवास में उपयोग: चतुर्मास के दौरान उपवास और व्रत रखते समय नारियल का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। यह पौष्टिक और ऊर्जा से भरपूर होता है, जो उपवास के दौरान शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

5. धार्मिक अनुष्ठान: नारियल का उपयोग पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में व्यापक रूप से किया जाता है। इसे भगवान को अर्पित करना और नारियल तोड़ना शुभ माना जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

6. आध्यात्मिक महत्व: नारियल का तीन आँखों वाला रूप भगवान शिव के त्रिनेत्र का प्रतीक माना जाता है। यह ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यासों में मानसिक शांति और केंद्रितता प्रदान करता है।

इस प्रकार, चतुर्मास या देवशयनी के दौरान नारियल का धार्मिक, शारीरिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।

अनुरोध: इस सामग्री में दी गई सलाह और मार्गदर्शन केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। इसे स्वास्थ्य सलाहकार की सलाह से या अन्य विशेषज्ञ के परामर्श के बिना अपनाने से पहले किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत सलाह लेनी चाहिए।